Why We Celebrate Diwali: क्यों मनाई जाती है दिवाली?

 Diwali 2022: सनातन धर्म में दीपावली का विशेष महत्व है। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम रावण का वध कर 14 वर्ष का वनवास पूर्ण करने के बाद जननी जन्मभूमि अयोध्या वापस लौटे थे। वही इस पावन पर्व को लेकर और भी कई कथाएं भी हैं।


रोशनी का त्योहार दीपावली भारतवर्ष में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पावन पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। सनातन धर्म मे दीपावली का विशेष महत्व है। दीपावली को पर्वों की माला भी कहा जाता है। क्योंकि यह पर्व केवल छोटी दीपावली और दीपावली तक सीमित नहीं रहता बल्कि भैया दूज तक चलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम जी रावण का वध कर चौदह वर्ष के वनवास के बाद जननी जन्मभूमि अयोध्या वापस लौटे थे।

जिसकी खुशी में पूरी अवध नगरी दीये की चकाचौंध से सजाई जाती है और इसका हर्षोल्लास पूरे देश में देखने को मिलता है। वहीं धार्मिक ग्रंथो की मानें तो इस दिन समुद्र मंथन से धन की देवी मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। आज दीपावली के मौके पर हम आपको बता रहे हैं क्यों मनाई जाती है दीपावली और क्या है इसकी पौराणिक मान्यता।

14 वर्ष वनवास पूर्ण कर अवध लौटे थे भगवान राम

पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को भगवान राम चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण करने के बाद अपनी जन्मभूमि अयोध्या वापस लौटे थे। जिसके उपलक्ष्य में हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन पूरी अयोध्या नगरी को दीप के प्रकाश से दुल्हन की तरह सजाया जाता है, कलाकृतियों और रंग रोगन से रामजी की नगरी को सजाया जाता है।

महाभारत काल से जुड़ी है दीपावली मनाने की परंपरा

दीपावली मनाने की परंपरा महाभारत काल से भी जुड़ी है। हिंदू महाग्रंथ महाभारत के अनुसार इसी कार्तिक मास की अमावस्या को पांडव तेरह वर्ष का वनवास पूर्ण कर वापस लौटे थे। कौरवों ने शतरंज के खेल में शकुनी मामा के चाल की मदद से पांडवो का सबकुछ जीत लिया था। इसके साथ ही पांडवो को राज्य छोड़कर वापस जाना पड़ा था। इसी कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को वह वापस लौटे थे। पांडवो के वापस लौटने की खुशी में लोगों ने दीप जलाकर खुशी मनाई थी। इसके बाद प्रत्येक वर्ष दीपावली का पावन पर्व मनाया जाता है।




मां लक्ष्मी का हुआ था जन्म

धार्मिक ग्रंथो की मानें तो समुद्र मंथन के दौरान इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन गणेश और लक्ष्मी जी की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा अर्चना करने से सुख-समृद्धि, यश वैभव की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


Post a Comment

0 Comments